India Biggest Train Robbery: भारतीय रेल इतिहास की सबसे बड़ी ट्रेन डकैती, चेन्नई-सलेम एक्सप्रेस लूट कांड की पूरी कहानी

India’s Biggest Train Robbery Incident: सलेम-चेन्नई इग्मोर एक्सप्रेस में हुई इस डकैती को भारतीय रेल इतिहास की सबसे बड़ी ट्रेन डकैती के रूप में जाना जाता है। इस घटना में चलती ट्रेन की छत काटकर लगभग 5.78 करोड़ रुपये की चोरी की गई थी।

Shivani Jawanjal
Written By Shivani Jawanjal
Published on: 14 March 2025 4:00 PM IST (Updated on: 15 March 2025 11:31 AM IST)
Chennai-Salem Express Heist: भारतीय रेल इतिहास की सबसे बड़ी ट्रेन डकैती, चेन्नई-सलेम एक्सप्रेस लूट कांड की पूरी कहानी
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Chennai-Salem Express Heist (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Salem-Chennai Express Train Robbery: भारत में ट्रेन डकैती की कई घटनाएं हुई हैं, लेकिन 8 अगस्त 2016 को चेन्नई-सलेम एक्सप्रेस में हुई डकैती ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस ट्रेन में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 342 करोड़ रुपये ले जाए जा रहे थे, जिनमें से बड़ी रकम रहस्यमय तरीके से चोरी हो गई। यह घटना न केवल भारतीय पुलिस के लिए एक चुनौती बन गई, बल्कि इसकी जटिलता के कारण जांच में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की भी मदद लेनी पड़ी।

हाई-प्रोफाइल केस होने के कारण इस डकैती ने मीडिया और सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान आकर्षित किया। कैसे अपराधियों ने इतनी सख्त सुरक्षा के बावजूद यह दुस्साहसिक वारदात अंजाम दी, यह आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है। आइए, इस घटना के बारे में विस्तार से जानते हैं।

घटना की पृष्ठभूमि (Background Salem-Chennai Express Train Robbery Incident)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) नियमित रूप से पुराने और क्षतिग्रस्त नोटों को बदलने के लिए विभिन्न शाखाओं और करेंसी चेस्ट्स में नई नकदी भेजता है। यह प्रक्रिया देश की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक होती है और आमतौर पर अत्यधिक गोपनीयता और कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न की जाती है।

इसी क्रम में, 8 अगस्त 2016 को, भारतीय रिज़र्व बैंक (Indian Reserve Bank) ने सलेम से चेन्नई (Salem-Chennai) जाने वाली वाली पैसेंजर ट्रेन (11064 सेलम-चेन्नई इग्मोर एक्सप्रेस) की रिजर्व बोगी में भारी मात्रा में नकदी स्थानांतरित करने की योजना बनाई। इस विशेष ऑपरेशन के तहत, 342 करोड़ रुपये नकद एक आरक्षित बोगी (कोच नंबर 2) में रखे गए थे। इस रकम में ज्यादातर 500 और 1,000 रुपये के नोट थे, जिन्हें पुराने नोटों के बदले नई करेंसी से बदलने के लिए चेन्नई भेजा जा रहा था।

इस महत्वपूर्ण नकदी ट्रांसपोर्ट के दौरान सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की गई थी। बोगी को सील कर दिया गया था, और इसकी सुरक्षा के लिए कुल 18 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। हालांकि, सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत, ये पुलिसकर्मी नकदी से भरी बोगी में मौजूद नहीं थे; वे पास की एक अन्य बोगी में यात्रा कर रहे थे। अधिकारियों का मानना था कि सील की गई बोगी को किसी बाहरी हस्तक्षेप से सुरक्षित रखा गया था, लेकिन वास्तविकता में अपराधियों ने इस व्यवस्था में सेंध लगा दी थी।

कैसे अपराधियों ने लूट को अंजाम दिया? (Biggest Train Robbery In India)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कुख्यात पारदी गैंग के सरगना मोहर सिंह पारदी (Mohar Singh Pardi) और उसके साथियों ने इस डकैती को अंजाम देने के लिए सुनियोजित रणनीति बनाई थी। वारदात से पहले, उन्होंने आठ दिनों तक ट्रेन में सफर कर रेकी की और यह समझा कि चिन्नासलेम और विरुधाचलम स्टेशनों (Chinnasalem And Virudhachalam Stations) के बीच का 45 मिनट का मार्ग डकैती के लिए सबसे उपयुक्त होगा, क्योंकि इस दौरान ट्रेन बिना रुके चलती थी।

घटना वाली रात, गैंग के सदस्य ट्रेन की छत पर चढ़ गए। उन्होंने बैटरी से चलने वाले कटर की मदद से बोगी की छत में करीब दो वर्ग फीट का छेद किया। इसके बाद, एक डकैत छेद से अंदर घुसा और लकड़ी के बॉक्स काटकर नोटों के बंडल बाहर निकालने लगा। इन बंडलों को उसने अंडरगारमेंट्स में छिपाकर छत पर बैठे साथियों को दिया। आगे रेलवे ट्रैक के किनारे उनके अन्य साथी पहले से इंतजार कर रहे थे, जिन्हें ट्रेन से गुजरते हुए नोटों के बंडल फेंक दिए गए।

आखिर में, छत पर सवार डकैत भी ट्रेन से कूदकर फरार हो गए और पुलिस के लिए यह वारदात एक बड़ी चुनौती बन गई। इस घटना में चलती ट्रेन की छत काटकर लगभग 5.78 करोड़ रुपये की चोरी की गई थी।

डकैती का खुलासा और प्रारंभिक जांच (Revelation And Investigation)

जब ट्रेन चेन्नई पहुंचकर यार्ड में खड़ी की गई, तो सुरक्षा गार्डों ने बोगी की रूटीन जांच की। इस दौरान, उन्होंने बोगी की छत पर एक बड़ा छेद देखा और अंदर नोटों के बंडल बिखरे पड़े थे। चार बॉक्स खुले हुए मिले, जिनमें से एक पूरी तरह खाली था और दूसरा आधा खाली था। यह देखते ही स्पष्ट हो गया कि ट्रेन में डकैती हो चुकी थी। रेलवे और पुलिस अधिकारियों को तुरंत सूचना दी गई, जिसके बाद जांच शुरू कर दी गई।

डकैती के बाद जांच एजेंसियों के लिए चुनौती (Challenges For Investigative Agencies)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

जब ट्रेन चेन्नई पहुंची और अधिकारियों ने नकदी की बोगी खोली, तो उनके होश उड़ गए। बोगी की छत में एक बड़ा छेद था, और करोड़ों रुपये गायब थे। बोगी की छत में एक बड़ा छेद था, और करोड़ों रुपये गायब थे। यह डकैती इतनी सफाई से अंजाम दी गई थी कि पूरी यात्रा के दौरान किसी को कोई संदेह नहीं हुआ। घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने तुरंत जांच शुरू की।

सबसे पहले, उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की कि ट्रेन के किस हिस्से में यह डकैती हुई थी। इसके लिए रेलवे ट्रैक के उन स्थानों को खंगाला गया जहां ट्रेन की गति धीमी होती थी, क्योंकि अपराधियों के भागने के लिए ऐसे स्थान आदर्श हो सकते थे। जल्द ही, छत पर कटे हुए धातु के कुछ अंश और अपराधियों के संभावित भागने के रास्तों के संकेत मिले, जिससे पुलिस को सुराग मिलने लगे।

हालांकि ट्रेन की बोगी के अंदर कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था, लेकिन रेलवे स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगे कैमरों की फुटेज की गहन जांच की गई। पुलिस ने उन यात्रियों और संदिग्ध व्यक्तियों की तलाश शुरू की, जो यात्रा के दौरान रहस्यमय तरीके से ट्रेन में चढ़े या उतरे थे। लुटेरों का कोई सुराग नहीं मिला, तो मामला CID को सौंप दिया गया।

नासा की तकनीक और CID की सूझबूझ से सुलझा केस (NASA's Technology And CID's Intelligence)

इस हाई-प्रोफाइल ट्रेन डकैती की जांच को नए स्तर तक ले जाते हुए, CID ने अत्याधुनिक तकनीकों का सहारा लिया और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) की मदद ली। नासा (NASA) की उपग्रह इमेजिंग तकनीक का उपयोग करके यह पता लगाने की कोशिश की गई कि ट्रेन के किस इलाके में डकैती को अंजाम दिया गया था। इस उन्नत विश्लेषण से संभावित स्थानों की पहचान करने में मदद मिली, जहां ट्रेन की गति कम होती थी और अपराधियों के उतरने की संभावना अधिक थी।

इन सुरागों के आधार पर, सीआयडी (CID) ने उस क्षेत्र में घटना के दिन सक्रिय सभी मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल्स की गहन जांच शुरू की। इस प्रक्रिया में उन संदिग्ध नंबरों को चिन्हित किया गया जो घटना के समय उस स्थान के आसपास सक्रिय थे। जब इन नंबरों की पड़ताल की गई, तो खुलासा हुआ कि ज्यादातर मध्य प्रदेश की आईडी पर रजिस्टर किए गए थे। यह एक महत्वपूर्ण सुराग था, जिसने जांच को सही दिशा में आगे बढ़ाया।

इसके बाद, मध्य प्रदेश में विशेष टीमों को भेजकर अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की गई। कई दिनों तक चले इस अभियान के दौरान, एक-एक कर कुल आठ संदिग्ध लुटेरों को गिरफ्तार कर लिया गया। इनमें से मुख्य आरोपी मोहर सिंह पारदी और उसके साथियों ने डकैती की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सीआईडी (CID) की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि उन्नत तकनीक और कुशल जांच के मेल से किसी भी जटिल अपराध को सुलझाया जा सकता है।

नोटबंदी ने लुटेरों की योजना पर फेर दिया पानी (Demonetization & Failure of Robbery)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इन सुरागों के आधार पर, पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए विभिन्न संभावित ठिकानों पर छापेमारी शुरू की। लंबी जांच और खुफिया जानकारी के आधार पर, अंततः मध्य प्रदेश में एक बड़े अभियान के तहत कुख्यात अपराधी मोहर सिंह पारदी सहित आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पारदी गिरोह लंबे समय से आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त था और ट्रेन डकैती जैसी वारदातों को अंजाम देने में माहिर था। पूछताछ के दौरान यह खुलासा हुआ कि गिरोह ने इस डकैती की योजना महीनों पहले बनाई थी और बारीकी से ट्रेन के रूट, सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस गश्त का अध्ययन किया था।

डकैती को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद अपराधियों ने चोरी की गई नकदी को कई हिस्सों में बांटकर सुरक्षित स्थानों पर छिपा दिया। लेकिन इसके कुछ ही महीनों बाद, 8 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया, जिससे पूरे देश में आर्थिक उथल-पुथल मच गई। यह फैसला न केवल आम जनता के लिए अप्रत्याशित था, बल्कि उन अपराधियों के लिए भी एक बड़ा झटका साबित हुआ, जिन्होंने हाल ही में करोड़ों रुपये की चोरी की थी।

नोटबंदी के कारण अपराधियों के पास रखी अधिकांश रकम बेकार हो गई, क्योंकि वे उसे बैंक या बाजार में नहीं खपा सकते थे। मजबूरी में, उन्होंने चोरी की गई भारी मात्रा में नकदी को ठिकाने लगाने का फैसला किया। जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि गिरोह के सदस्यों ने पुराने नोटों के बंडल को नदी में बहा दिया या जला दिया, ताकि वे किसी भी तरह से पकड़े न जाएं। कुछ हिस्सों को उन्होंने गुप्त रूप से बदलने की कोशिश की, लेकिन नोटबंदी की सख्त निगरानी के कारण यह संभव नहीं हो सका।

चेन्नई-सलेम एक्सप्रेस ट्रेन डकैती भारतीय रेलवे इतिहास की सबसे बड़ी और साहसी डकैतियों में से एक थी, जिसने पूरे देश को चौंका दिया। इस मामले की जांच में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी सूझबूझ, तकनीक और दृढ़ संकल्प का बेहतरीन प्रदर्शन किया। नासा (NASA) जैसी उन्नत अंतरराष्ट्रीय तकनीकों का उपयोग और सीआयडी (CID) की गहन पड़ताल यह दर्शाती है कि आधुनिक अपराधों को सुलझाने के लिए पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर हमें तकनीक और डेटा विश्लेषण का अधिकतम उपयोग करना होगा। यह घटना केवल एक डकैती नहीं थी, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था की खामियों और अपराधियों की नई सोच को समझने का एक अवसर भी थी।

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